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छत्तीसगढ़ के ‘भरोसे का बजट’ कितना भरोसेमंद, जानिए असल मायने

छत्तीसगढ़ के ‘भरोसे का बजट’ कितना भरोसेमंद, जानिए असल मायने

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश सिंह बघेल जल्द ही बजट पेश करने वाले हैं. उन्हों इस बजट को भरोसे का बजट नाम दिया है, हालांकि सीएम के पिटारे से जनता के लिए क्या कुछ निकलने वाला है,न और क्या यह बजट जनता की कसौटियों पर उतर पाएगा, इस बात से पर्दा तो बजट पेश होने के बाद ही उठेगा. लेकिन इससे पहले सीएम ने जनता के नाम संबोधन दिया. जिसमें उन्होंने कई अहम बातों का जिक्र किया. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस बार के बजट को भरोसे का बजट कहा है. उन्होंने बजट को यह नाम प्रदेश की जनता जो संबोधन करते वक्त दिया. बजट में क्या ख़ास है, और इसके मायने क्या हैं, इसका बेसब्री से जनता को इन्तजार है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सीएम ने गृह विभाग, कृषि विभाग, सिंचाई विभाग, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, रोजगार विभाग और सड़क विभाग से जुड़े अलग अलग मंत्रियों के साथ साथ अफसरों से भी चर्चा की और उसी के आधार पर बजट की रूप रेखा को तैयार किया.

सीएम के कार्यकाल का आखिरी बजट बेहद ख़ास

बताया जा रहा है कि, भूपेश सिंह बघेल सीएम और वित्त मंत्री दोनों का जिम्मा खुद उठा रहे हैं. उनके कार्यकाल का यह आखिरी बजट है. जिस वजह से इस बजट को बेहद खास बताया जा रहा है. विधानसभा चुनाव साल 2023 के चलते हर वर्ग और हर तबके के लोगों को साधने की तैयारी है. वहीं जो कर्मचारी सरकार की नीतियों से रूठे हैं, उन्हें मनाने की कोशिश भी इस बार के बजट में की जाएगी. इसके अलावा सालों से लम्बित पड़ी मांगों को भी पूरा किया जा सकता है. वहीं छत्तीसगढ़ के इस साल के बजट में नियमित समय कई तरह की जनता से जुड़ी घोषणाएं की जा सकती हैं.

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बजट में किसानों को मिल सकती है सौगात

किसानों के जरिये सत्ता हासिल करने वाली कांग्रेस सरकार किसानों के हित में बजट के पिटारे से कुछ खास घोषणाएं कर सकती है. हालांकि राज्य में धान की खेती सबसे ज्यादा की जाती है, जिसपर राजनीती भी केन्द्रित रहती है. बताया जा रहा है कि, धान पर बोनस को लेकर केंद्र से लेकर राज्य सरकार के बीच हमेशा से ही खींचतान रहती है. जिस बझ से छत्तीसगढ़ सरकार किसानों के हित में बड़ा ऐलान कर सजती है. खबरों के मुताबिक धान के अलावा अन्य खाद्यान के समर्थन मूल को लेकर बड़ा तोहफा दिया जा सकता है. वहीं खेती और किसानी से जुड़े उपकरणों में करों में छूट देने के साथ सब्सिडी को बढ़ाया जा सकता है.

अनियमित संविदा कर्मचारियों के सपने हो सकते हैं पूरे

छत्तीसगढ़ के बजट में अनियमित संविदा कर्मचारियों को अच्छी खबर मिल सकती है. बजट के जरिये उनका सपना पूरा हो सकता है. बताया जा रहा है कि, कर्मचारियों के संविलियन की राह आसान हो सकती है. इसके अलावा युवाओं के लिए नौकरी, पुलिस में भर्ती और और शिक्षक में भर्ती समेत कई अहम ऐलान हो सकता है.

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युवाओं और महिलाओं के लिए भी खास है बजट

इस बजट में युवाओं और महिलाओं के लिए भी काफी कुछ हो सकता है. जिसमें स्टार्टअप योजना से लेकर इनोवेशन सेंटर खोलने और महिलाओं को सेल्फ डिपेंड बनाने को लक्सर बड़ा ऐलान किया जा सकता है.

यहां पर भी सरकार की नजर

अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग और आदिवासी वर्ग को वोट को साधने का सरकार का सबसे बड़ा मास्टर प्लान है. जिसके लिए सरकार कई बड़े ऐलान कर सकती है.
किसान फसल की देखभाल के लिए 7 करोड़ का हेलीकॉप्टर खरीद रहा है

किसान फसल की देखभाल के लिए 7 करोड़ का हेलीकॉप्टर खरीद रहा है

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि नक्सल प्रभावित जनपदों में रहने वाले एक किसान ने अपने खेत की देखरेख करने के लिए हेलीकॉप्टर खरीदने जा रहे हैं। तकरीबन 1000 एकड़ जमीन में खेती की देखभाल के लिए 7 करोड़ रुपये का हेलीकॉप्टर उन्होंने पसंद किया है। भारत के सर्वश्रेष्ठ किसान सम्मान से नवाजे गए छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित कोंडा गांव जनपद के निवासी उन्नत किसान राजाराम त्रिपाठी अपनी एक हजार एकड़ खेती की देखरेख करने के लिए हेलीकॉप्टर खरीदने जा रहे हैं। राजाराम त्रिपाठी राज्य के पहले ऐसे किसान हैं, जो कि हेलीकॉप्टर खरीद रहे हैं। 7 करोड़ के खर्चे से खरीदे जा रहे हेलीकॉप्टर के लिए उन्होंने हॉलैंड की रॉबिन्सन कंपनी से सौदा भी कर लिया है। वर्ष भर के अंतर्गत उनके समीप R-44 मॉडल का 4 सीटर हेलीकॉप्टर भी आ जाएगा।

राजाराम सैकड़ों आदिवासी परिवारों के साथ 1000 एकड़ में खेती करते हैं

बतादें, कि किसान राजाराम त्रिपाठी सफेद मूसली, काली मिर्च एवं
जड़ी बूटियों की खेती करने के साथ-साथ मां दंतेश्वरी हर्बल समूह के संचालन में अपनी अलग पहचान स्थापित कर चुके हैं। हाल ही में उनको लगभग 400 आदिवासी परिवार के साथ 1000 एकड़ में सामूहिक खेती करने एवं यह खेती सफल होने के चलते उन्हें सम्मानित भी किया गया था। उन्हें जैविक खेती के लिए भी बहुत बार राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है। साथ ही, वर्तमान में अपनी खेती किसानी में एक और इतिहास रचते हुए 7 करोड़ की लागत से हेलीकॉप्टर खरीदने जा रहे हैं।

बैंक की नौकरी छोड़ शुरू की खेती

बस्तर के किसान राजाराम त्रिपाठी ने कहा है, कि उनका पूरा परिवार खेती पर ही आश्रित रहता है। कई वर्ष पहले उन्होंने अपनी बैंक की छोड़ के वह दीर्घकाल से खेती करते आ रहे हैं। साथ ही, वह मां दंतेश्वरी हर्बल समूह का भी बेहतर ढ़ंग से संचालन कर रहे हैं। बस्तर जनपद में पाई जाने वाली जड़ी बूटियों की खेती कर इसे प्रोत्साहन देने के साथ ही संपूर्ण राज्य में बड़े पैमाने पर इकलौते सफेद मूसली की खेती करते आ रहे हैं। राजाराम त्रिपाठी का कहना है, कि उनके समूह द्वारा यूरोपीय एवं अमेरिकी देशों में काली मिर्च का भी निर्यात किया जा रहा है। वर्तमान में अपनी करीब एक हजार एकड़ खेती की देखभाल के लिए हेलीकॉप्टर खरीदने जा रहे हैं। ये भी देखें: आने वाले दिनों में औषधीय खेती से बदल सकती है किसानों को तकदीर, धन की होगी बरसात

राजाराम को हेलीकॉप्टर से खेती करने का विचार कैसे आया

राजाराम त्रिपाठी ने बताया कि अपने इंग्लैंड एवं जर्मनी प्रवास के दौरान वहां उन्होंने देखा कि दवा और खाद के छिड़काव के लिए हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल हो रहा है। जिससे पैदावार का बेहतरीन परिणाम भी मिल रहा है। इसी को देखते हुए उन्होंने अपने किसान समूह के 1 हजार एकड़ के साथ आसपास के खेती वाले इलाकों में हेलीकॉप्टर से ही खेतो की देखभाल करने का संकल्प किया। साथ ही, हेलीकॉप्टर खरीदने का पूर्णतय मन बना लिया और हॉलैंड की रॉबिंसन कंपनी से सौदा भी कर लिया। राजाराम त्रिपाठी का कहना है, कि वे कस्टमाइज हेलीकॉप्टर बनवा रहे हैं। जिससे कि इसमें मशीन भी लगवाई जा सकें। उन्होंने कहा है, कि फसल लेते वक्त विभिन्न प्रकार के कीड़े फसलों को हानि पहुंचाते हैं। हाथों से दवा छिड़काव से भी काफी भूमि का हिस्सा दवा से छूट जाता है, जिससे कीटों का संक्रमण काफी बढ़ जाता है। हेलीकॉप्टर से दवा छिड़काव से पर्याप्त मात्रा में फसलों में दवा डाली जा सकती है, जिससे फसलों को क्षति भी नहीं पहुंचती।

हेलीकॉप्टर उड़ाने का प्रशिक्षण ले रहे राजाराम के भाई और बेटा

राजाराम त्रिपाठी ने कहा है, कि हेलीकॉप्टर को चलाने के लिए उनके भाई व बेटे को उज्जैन में स्थित उड्डयन अकादमी में हेलीकॉप्टर उड़ाने का प्रशिक्षण लेने के लिए भेजने की तैयारी हो चुकी है। प्रशिक्षण लेने के बाद उनके भाई व बेटे हेलीकॉप्टर से खेती की देखभाल करेंगे। उन्होंने कहा कि बस्तर में किसान की छवि नई पीढ़ी को खेती किसानी के लिए प्रेरित नहीं कर सकती। नई पीढ़ी के युवा आईटी कंपनी में नौकरी कर सकते हैं। लेकिन वह खेती को उद्यम बनाने की कोशिश नहीं करते। इसी सोच में तब्दीली लाने के लिए वह हेलीकॉप्टर खरीद रहे हैं। जिससे कि युवा पीढ़ी में खेती किसानी को लेकर एक सकारात्मक सोच स्थापित हो सके। ये भी देखें: Ashwgandha Farming: किसान अश्वगंधा की खेती से अच्छी-खासी आमदनी कर रहे हैं

सालाना कितने करोड़ का टर्न ओवर है

राजाराम का कहना है, कि उनके भाई व बच्चे भी नौकरी की वजह खेती किसानी कर रहे हैं। साथ ही, खेती बाड़ी में उनको काफी रूचि भी है। खेती-बाड़ी और दंतेश्वरी हर्बल समूह से उनका वार्षिक टर्न ओवर लगभग 25 करोड़ रुपए है। अब उनके साथ-साथ आसपास के आदिवासी किसान भी उन्नत किसान की श्रेणी में आ गए हैं। उनके द्वारा भी हर्बल उत्पादों का उत्पादन किया जा रहा है, जिसमें सफेद मूसली एवं बस्तर की जड़ी-बूटी भी शम्मिलित है। गौरतलब है, कि उनकी इसी सोच व खेती किसानी के लिए किए जा रहे नए नए प्रयास और उससे मिल रही सफलता की वजह से राजाराम त्रिपाठी चार बार सर्वश्रेष्ठ किसान अवार्ड से सम्मानित हो चुके हैं।